क्या आपको पता है इस महीने gyaras kab ki hai शायद नही और ना ही प्रत्येक व्यक्ति हर समय कैलेंडर अपने साथ रख पता है लेकिन आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे की सितंबर माह में ग्यारस कब की है
भादवा महीने के शुक्ल पक्ष में जलझूलनी ग्यारस है जो भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन महिलाएं उपवास रखती है। और श्रीकृष्ण भगवान की फेरि पूरे शहर मे धूम धाम से निकलते है क्यूंकी जल झूलनी ग्यारस बहुत खास होती है । तो ज्यादातर माताएं बहनें हमेशा सर्च करती रहती है की gyaras kab ki hai।
ग्यारस कब की है – gyaras kab ki hai
भाद्रपद (भादवा) महीने के शुक्ल पक्ष (चानणी) की जलझूलनी ग्यारस 25 सितम्बर वार सोमवारको है। इसी दिन जलझूलनी एकादशी व्रत, डोल ग्यारस, पदमा एकादशी भी बोलते है।
सितम्बर 2023 में ग्यारस कब की है
वेसे आप सभी जानते है प्रत्येक महीने मे 2 ग्यारस आती है वेसे ही इस महीने मे भी 2 ग्यारस है जो कुछ इस प्रकार से है
1 माह भाद्रपद (भादवा), शुक्ल पक्ष (चानणी) ग्यारस 25 सितम्बर वार सोमवार को है
2 माह भाद्रपद (भादवा) कृष्ण पक्ष (अंधेरी) ग्यारस 10 सितम्बर वार रविवार को है
जलझूलनी ग्यारस कब की है
सनातनी धर्म में बहुत सारे त्योहार मनाए जाते है वैसे ही ग्यारस का महत्व भी हमारे समाज में बहुत ज्यादा माना गया है। एक महीने में 2 ग्यारस आती है लेकिन प्रत्येक gyaras का महत्व अपने आप में अलग होता है।
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लेकिन भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आने वाली jal jhulni Gyaras कुछ खास इसीलिए होती है। की कृष्ण भगवान की जन्माष्टमी के बाद आने वाली पहली ग्यारस होती है जिससे जलझूलनी ग्यारस के नाम से जाना जाता है। इस दिन को भारतीय समाज में एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। और इस दिन जलझूलनी ग्यारस के अवसर पर गाजे-बाजे के साथ भगवान कृष्ण की पूरे गांव शहर में फेरी निकाली जाती है। कृष्ण भगवान को पालकी में बिठाकर मंदिर से यह शोभायात्रा निकाली जाती है जिसे लोग स्वागत के तौर पर फूल वगैरह बिछाते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं इस दिन महिलाएं व्रत रखती है। तो चलिए अब जानते है jal jhulni Gyaras kab ki hai
Jal jhulni Gyaras kab ki hai – Gyaras kab ki hai
Jal jhulni Gyaras सितम्बर महीने की 25 तारिक सोमवार को है इस ग्यारस को डोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन वर्त रखने से कई लाभ होते है
इस दिन वर्त रखने से रोग दोष से मुक्ति मिलती है, धन धान्य मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है, जल झुलनी ग्यारस पर वर्त और दान करने से सौभाग्य में वर्दी मिलती है। तो उम्मीद है आप समझ गए होंगे की jal jhulni Gyaras kab ki hai।
निष्कर्ष
उम्मीद करता हु आज का आर्टिकल पढ़कर आप जान गए होंगे की Gyaras kab ki hai हमने इस लेख में आपको jal jhulni Gyaras ke बारे में बताने का प्रयास किया है। अगर आपको हमारा लेख पसंद आया है तो आप अपने watsp की मदद से अपनी माता बहने के साथ इस जानकारी को जरूर शेयर करे। ताकि वो भी जान पाए की jal jhulni Gyaras kab ki hai
धन्यवाद
Team hindigullak.com